सहजता
व्यक्तित्व का चुंबकीय आकर्षण किसी का व्यक्तित्व यूँ तो बहु आयामी होता है किसी एक गुण या कई गुणों का संयोजन नहीं अपितु मनुष्य के संपूर्ण आस्तित्व का प्रतिबिंब होता है! सहजता मनुष्य के व्यक्तित्व निर्माण के समस्त उत्क्रष्ट् बिंदुओं मैं एक मुखर व सबको आकर्षित करने का अतिशय प्रभावी विन्दु है जिसमें तरलता व सरलता जैसे गुण समाहित हैं! सहजता अंतःकरण की पवित्रता को प्रतबिम्बित करता है! सहजता से अभिप्राय मनुष्य के व्यवहार के उस पक्ष से है जिसमें उसका प्रकट व्यवहार और उसके अंतःकरण मैं लेशमात्र अंतर नहीं होता है वह जैसा अंदर है वैसा ही बाहर है! अर्थात ऐसा बिलकुल नहीं है कि वह अंदर से तो कुछ और है और बाहर प्रकट कुछ और कर रहा है! सहज व्यक्ति वोही जीता है जो उसके अंदर होता है! अतः उसके अंतर्हृदय मै और वाह्य व्यवहार मैं कोई अंतर नहीं होता है! ऐसे सहज व्यक्ति का मन निश्छल होता है क्योंकि वो न तो अपने आप से और न किसी और के साथ ही कोई छल कर रहा है! वह सदेव निश्चिंत रहता है ऐसा व्यक्ति मिथ्याचारी नहीं हो सकता है इसके विपरीत जब कोई व्यक्ति अपने स्वार्थ (उदेश्य) की सिद्धि के लिए जानकर मिथ्या आचरण करत