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Ultimate truth

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 भारतीय आध्यात्म ने अंतिम सत्य उसे माना है जिसमे कभी भी परिवर्तन नहीं होता, जो अनंत है, जो सर्वव्यापी है, जो समस्त देहिक अवस्थाओं से परे है अर्थात वो शरीर नहीं है, जो सर्वत्र और सब मैं होते हुए भी निर्लिप्त रहता है, वो विकार रहित है एवम शाश्वत चेतना है। वो तत्व परम सूक्ष्म है जिसे शरीर की आँखों से नहीं देख जा सकता है।  जो जगत हमे दिखाई देता है वो उसकी ही रचना है अनंत ब्रह्मांड एवम पिंड सभी कुछ उसका ही विराट स्वरूप है।  अतः इस परंतत्त्व को हम कैसे जाने। इसको जानने के लिए हमारे शास्त्रों मैं स्पष्ट लिखा कि हम शरीर रूप से ईश्वर का अंश नहीं हैं क्योंकि शरीर मैं परिवर्तन होता है और एक दिन ये विनाश को प्राप्त हो जाता है। इसलिए हमारा ईश्वर नहीं हो सकता क्योंकि ये सूक्ष्म नहीं है इसको वाह्य नेत्रों देखा जा सकता व स्पर्श भी किया जा सकता है।  अब हमारे अंतःकरण की जो परम चेतना है जिसके कारण हम सूक्ष्म से सूक्ष्म संवेदनाओं को ग्रहण कर सकते है व अनुभव भी कर सकते हैं व निर्लिप्त भाव से उसका विस्तार भी कर सकते हैं एवम सबके कल्याण की कामना भी।  जब हम शाश्त्रों के अनुसार देहिक इं...

आनंद की खोज - A search for eternal happiness

आजकल वैचारिक विमर्श मैं हमारा मौलिक चिंतन नगण्य होता जा रहा है मूलतः जब हम दूसरों की ख़ुशी के लिए जीते हैँ तब हमारे अंतस मैं आनंद प्रस्फुटित होता है जो दी गई ख़ुशी से अनंत गुना बड़ा होता है आनंद शाश्वत है जो निसंदेह ईश्वर सदृश्य ही नहीं बल्कि ईश्वर ही है।  _____________________________________ English translation....  Nowadays our fundamental thinking in ideological discourse is becoming insignificant, basically when we live for the happiness of others, then happiness arises in our heart which is infinitely greater than the happiness given, happiness is eternal, which is undoubtedly not God-like but God is. 

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