Ultimate truth

भारतीय आध्यात्म ने अंतिम सत्य उसे माना है जिसमे कभी भी परिवर्तन नहीं होता, जो अनंत है, जो सर्वव्यापी है, जो समस्त देहिक अवस्थाओं से परे है अर्थात वो शरीर नहीं है, जो सर्वत्र और सब मैं होते हुए भी निर्लिप्त रहता है, वो विकार रहित है एवम शाश्वत चेतना है। वो तत्व परम सूक्ष्म है जिसे शरीर की आँखों से नहीं देख जा सकता है। जो जगत हमे दिखाई देता है वो उसकी ही रचना है अनंत ब्रह्मांड एवम पिंड सभी कुछ उसका ही विराट स्वरूप है। अतः इस परंतत्त्व को हम कैसे जाने। इसको जानने के लिए हमारे शास्त्रों मैं स्पष्ट लिखा कि हम शरीर रूप से ईश्वर का अंश नहीं हैं क्योंकि शरीर मैं परिवर्तन होता है और एक दिन ये विनाश को प्राप्त हो जाता है। इसलिए हमारा ईश्वर नहीं हो सकता क्योंकि ये सूक्ष्म नहीं है इसको वाह्य नेत्रों देखा जा सकता व स्पर्श भी किया जा सकता है। अब हमारे अंतःकरण की जो परम चेतना है जिसके कारण हम सूक्ष्म से सूक्ष्म संवेदनाओं को ग्रहण कर सकते है व अनुभव भी कर सकते हैं व निर्लिप्त भाव से उसका विस्तार भी कर सकते हैं एवम सबके कल्याण की कामना भी। जब हम शाश्त्रों के अनुसार देहिक इं...